भोजन की सात्विकता से खुशहाल जीवन की और कैसे बढ़े…


क्या आप जानते हैं, कि भोजन का हमारे जीवन पर क्या असर होता है? क्या आपको पता है कि भोजन की सात्विकता से हम अपने जीवन को खुशहाल बना सकते है…
शरीर और मन को निरोग रखने के लिए हमें संतुलित आहार की जरूरत होती है। पुरातन काल से ऋषि मुनियों ने ही सात्विक भोजन क्या होना चाहिए इसका निर्धारण लगातार अपने पर प्रयोग करके सीखे हैं, इसी अनुभव को इन ऋषि मुनियों ने अपने आध्यात्मिक ग्रन्थ में लिखे हैं जैसे वेद ,पुराण इत्यादि….. हम जो भी भोजन करते हैं, उनका प्रभाव हमारे भावनाओं पर अवश्य पड़ता है ,इसलिए कहते हैं, जैसा अन्न वैसा मन जैसा मन वैसा विचार जैसे विचार वैसी भावना जैसी भावना वैसे कर्म जैसा वैसा फल और जैसा फल वैसा ही सुख और दुख का एहसास।

इसे हम एक कहानी से अवश्य ही समझ सकते हैं….
एक राजा ने एक महान तपस्वी ऋषि को बुलाएं, राजा ने उनको बड़े आदर और सम्मान के साथ राजमहल में बुलाया और आग्रह पूर्वक राजमहल में दो दिन रुकने के लिए कहा। उनके लिए 56 प्रकार के व्यंजन बनवाएं सोने के थाली और कटोरी चम्मच के साथ राजा और ऋषि का भोजन परोसा गया। भोजन करते वक्त ऋषि के मन में यह संकल्प आया कि यह सोने की कटोरी और थाली को अपने झोली में रख ले ताकि बाद में भी इसका उपयोग कर सकूं इस संकल्प के तुरंत बाद ही वह महान तपस्वी ऋषि सोचने लगे कि अरे मेरे मन में यह संकल्प कैसे …आया मैंने लोभ और मोह को ठुकरा कर ऋषि जीवन धारण किएफिर भी ऐसा संकल्प मैं कैसे कर सकता हूं। आज तो कुछ गलत हुआ है, यह सोचते हुए ध्यान में चले गए और उनके आगे घटने वाली घटना का आभास होने लगा उसने राजा को कहा आज का भोजन बहुत अच्छा था मैं सभी रसोइयों से मिलना चाहता हूं राजा ने तुरंत ही सभी को बुलवाया सभी सामने आए परंतु एक कहीं बाहर गया था….

राजा ने कहा आदेश कीजिए और आगे क्या करना है.. ऋषि ने राजा को कहा राजमहल में आज की रात को 3 पहरेदार और बढ़ाओ सुबह खबर मिली की रात को सिपाहियों ने राजमहल में चोरी करते हुए चोर को पकड़ा जो सुबह राजा को सामने नहीं आया वास्तव में वह एक रसोई था राजा ने महान तपस्वी को धन्यवाद किया और पूछा आपको कैसे पता चला कि ताजमहल में चोर घुस आया है… राजा ने बताया कि भोजन करते वक्त मेरे मन में संकल्प उठा की सोने की कटोरी और चम्मच को अपने झोली में रख लें,मुझे आगे काम आएगी तभी मैं सावधान हुआ कि आज अचानक चोरी का संकल्प मेरे मन में कैसे आया मैंने अपने तपोबल से यह देखने की कोशिश की एक व्यक्ति चोरी करते हुए राजमहल में घुस आया हुआ है ..भोजन बनाने के नियमित भंडारे में घुस रहा है तब मैंने सारे रसोई को बुलवाया तब वह नहीं आया क्योंकि उसके मन में खोट था इसलिए मैंने तुम्हारे पहरेदार पढ़ने के लिए कहा था इस कहानी से यह बात सामने स्पष्ट हो जाती है, कि जिस संकल्प से भोजन बनाते हैं, उसका प्रभाव खाने वाले के मन पर अवश्य पड़ता है इसलिए भोजन हमेशा प्रेम भाव और शुद्ध वातावरण में मन में विचारोंका सही संकल्प के साथ भोजन बनाना चाहिए, वजह इसके की भोजन कितने स्वादिष्ट हैं….
आपका पेट कोई कब्र नहीं है :-

 कसाइयों के विचारधारा है, कि हम अगर मांस अंडे न खाए तो हमें कमजोरी आती है ,वैसे देखा जाए… तो यह सब का सेवन विटामिन 12 के लिए करते हैं परंतु इसकी प्राप्ति हम शाकाहार भोजन मिल्क से भी प्राप्त कर सकते हैं... क्या आप जानते हैं, कि जितनी भी जीव जंतुओं का मांस अंडे खाते हैं.. वह सभी जीव है, जीव होने के नाते उसमें कई प्रकार के भावनाएं होती हैं ..और यदि हम उसका सेवन करते हैं ,तो वह भावनाएं का असर हमारे मन और बुद्धि पर पड़ता है साइंटिफिक रिसर्च के अनुसार इन जानवरों में खास तौर पर नकारात्मक भावनाएं होते हैं… यदि हम मानव की बात करें तो मानव भी एक सोशल एनिमल है ,परंतु हम अपने ऊपर काम करते-करते और अपने को सभ्य बनाने के लिए कई योग.. साधना और शिक्षा का प्रयोग किए हैं ,इसका परिणाम कई वर्षों बाद हम सभ्य हुए हैं ,नहीं तो जिस प्रकार जानवर बिहेव करता हैं अजीब प्रकार मानव भी पहले व्यवहार करता था । ।


एक तरफ तो हम सभ्य मानव होने के लिए कितना कुछ अपने ऊपर प्रयोग करते हैं, वहीं दूसरे और हम यह भूल जाते हैं कि भोजन का हमारे मन और मस्तिष्क पर क्या असर होता है, परिणाम स्वरुप हम अपने शरीर और मस्तिष्क के बीच संघर्ष को उत्पन्न करते हैं शरीर और मस्तिष्क का संतुलन या ताल में नहीं मिलता है तब तक हम अपने को एक बेहतर सभ्य मानव नहीं बना सकते हैं।
इसका असर आप अपने आसपास देख सकते हैं जो लोग भोजन में जानवर का प्रयोग करते है जिसमें नकारात्मक भावनाएं भरी हुई रहती है उन लोगों के व्यवहार को आप देख सकते हैं कि जल्दी क्रोध ईर्ष्या किसी भी समस्या उभ जाते है,सोचने वाली बात है ,कि अपने शरीर और मन को क्या दे रहे है..
वहीं यदि हम शुद्ध और सात्विक भोजन करें तो इसका असर हमारी मन और मस्तिष्क पर धीरे-धीरे पड़ने लगता है, सकारात्मक सोच और पवित्र होने लगता है ।इससे हमारा मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है ,मन लगातार चलने वाले विचारों की नकारात्मकता की कमी आती है मन शक्तिशाली होने लगता है, तो शरीर कई बीमारियों से दूर होने लगताहैं यह बात कहने कि नहीं है ,कि हमें अपनी भोजन का उपयोग में हमेशा ध्यान रखें कि क्या खा रहे क्या पी रहे हैं एक सप्ताह के प्रयोग से यह बात आपके सामने आ जाएगी इसलिए एक बार अवश्य प्रयोग करें

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