हम सब अपने बैंक -बैलेंस का सदा ख्याल रखते हैं और जमा को बढ़ाने का पुरुषार्थ, मेहनत भी अवश्य करते हैं| हम यही आश रखते हैं कि इस जमा खाते से जीवन में सुख, शांति, खुशी और स्वस्थ बना रहे परंतु जीवन में ऐसी परिस्थितियों भी कभी आती है जिस समय धन सहयोगी नहीं बनता | आजकल प्रतिदिन बीमारियां, प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती जा रही है, ऐसे समय में दुआएं ही काम आती है| दुआओं में वह शक्ति है जो असंभव को संभव कर सकती है|
दुआएं क्या है ?
जैसे कोई शरीर से कमजोर होता है तो उसे दूसरे का ब्लड देकर ताकत प्रदान करते हैं या कोई इंजेक्शन देकर ताकत देते हैं, इसी तरह दुआएं भी जीवन में हिम्मत, विश्वास, धीरज आदि की ताकत भरती है| दिल की दुआएं बहुत अमूल्य होती है, ये जमा होती जाती है और उस समय सहयोगी बनती है जब धन उपयोगी नहीं रहता| दुआएं हमारे जीवन में लिफ्ट का काम करती है|
दुआएं कैसे कमाए?
कोई व्यक्ति है ही कमजोर तो उसकी कमजोरी को देखने के बजाय उसे सहयोग देते हैं, तो उससे दुआएं मिलती है|असमर्थ व्यक्ति को समर्थी देते हैं, बेसहारा को सहारा देते हैं तो वह हमें दिल से दुआएं देता है| हम कैसे जान सकते हैं कि हमने कोई अच्छा काम किया उसकी दुआएं हमें मिली| उसका परिणाम होगा- हमारा दिल दिमाग सदा आराम में होगा, सुखचैन की स्थिति में होगा, हम सदा संतोष रहते हैं, तो हमें सभी की दुआएं मिलती है| सदा संतुष्ट रहना और सर्व को संतुष्ट करना, यही दुआएं लेने का सहज साधन है|
दुआएं कमाने के लिए निम्न बातों को अपनाए:-
1)क्षमा करें।
2)सुख दे।
3)आज्ञाकारी बने ।
4)मन ,बोल और कर्म से सबको सुख दे।
5)संतुष्ट रह, सबको संतुष्ट करें।
क्षमा करने से दुआएं कैसे मिलती है?
हम यदि किसी की बुराई व कमजोरी दिल पर ना रख पहले उसे क्षमा करते हैं, उसके बाद उसके अच्छाई के लिए कल्याण के लिए उसकी विशेषताएं की उसको याद(स्मृति) दिलाते हैं, तब उसके दिल से हमारे लिए दुआएं निकलती है| अगर हम उसके कमी- कमजोरी बुराई ही उसको बताएं तो हम उन्हें दुःखी करते हैं जिससे उनकी दुआएं हमें ना मिलकर हमें उनकी बददुआएं मिल जाती है|
सुख देने से दुआएं कैसे मिलती है?
हमने सुना है, कहा जाता है कि दिल से दूसरों की सेवा करो तो दुआएं का दरवाजा खुल जाएगा| अगर हम किसी की भी मदद करते, उन्हें सहयोग करते तो वे हमें दिल से दुआएं देते, खुश होते हैं| इससे हम हरेक फील्ड में सहज सफलता प्राप्त करते हैं ये दुआएं हमें आगे बढ़ने का साधन बनती है|
आज्ञाकारी बनने से दुआएं कैसे मिलती हैं ?
खुशनुमा जीवन के लिए आज्ञाकारिता का गुण बहुत जरूरी है| बच्चे माता-पिता का आज्ञाकारी बनने से आशीर्वाद के पात्र बनते हैं, उनको स्नेह और सहयोग प्राप्त होता है, परिवार में खुशहाली और शांति बनी रहती है| शिक्षक का आज्ञाकारी बनने से पढ़ाई में प्रवीण और उत्तीर्ण होते हैं, संस्कारी बनते हैं| शिक्षक को गर्व होता है, उनका विशेष मार्गदर्शन मिलता है, उनके साथ संबंध मधुर होता है|
अपने से बड़ो का आज्ञाकारी बनने से आगे बढ़ने का मार्ग सुगम होता है, रुकावटें सहज ही पार हो जाती है, प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है, छोटे -बड़े सबके दिलों को सहज ही जीत लेते हैं| मुश्किल कार्य सरल बन जाती है| आज्ञाकारी बने तो जीवन सरल, सुगम और सुखद बन जाएगा|
मन, बोल और कर्म से सबको सुख देने से दुआएं कैसे मिलती हैं ?
कुदरती नियम है की जो हम दूसरों को देते हैं वही हमें प्राप्त होता है| मनुष्य तो क्या अन्य जीवों, प्राणियों को भी वही दो जो हमें चाहिए| “जो बीज बोते हैं, वही काटते हैं,” यही कर्मों का विधान है| मन, बोल, कर्म से हम जितना सुख देने वाले कार्य करेंगे उतना पद्मगुणा होकर आपके पास वापस मिलेगा, यही नियम है| बोल और कर्म तो प्रत्यक्ष (दिखाने वाला ) है लेकिन मन्सा में क्या चल रहा है, यह तो खुद को ही पता होता है| जब हमारे मन में सभी के प्रति अच्छा भाव, अच्छी भावना होगी तभी हमारी बोल और कर्म में से वो बाहर आएगी| इसलिए हमें अपने मन में अच्छे थॉट्स (पॉजिटिव थॉट्स) ही सोचने चाहिए ना की नेगेटिव थॉट्स|
संतुष्ट रह सभी को संतुष्ट करने से दुआएं कैसे मिलती हैं ?
जो धैर्यवान शांत और स्थिर हो, विवेक और संयम से कार्य करता हो, ज्ञान ,गुण और शक्तियों से भरपूर हो, वही संतुष्ट रह सकता है| इच्छाएं व्यक्ति को असंतुष्ट करती है| एक है इच्छाएं, दूसरी है आवश्यकताऐ दोनों में जमीन- आसमान का अंतर है| जब व्यक्ति स्वयं से और सभी से संतुष्ट रहता है तो इच्छाएं स्वतः समाप्त हो जाती है|