वैलेंटाइन डे को प्रेम का दिन के रूप में मनाया जाता है| इस दिन कपल्स एक- दूसरे से अपने प्रेम का इजहार करते हैं गिफ्ट्स देते हैं| आइए हम जानते हैं कि वैलेंटाइंस डे क्यों मनाया जाता है और इसे 14 फरवरी को ही क्यों मनाते हैं…
वैलेंटाइंस डे को संत वैलेंटाइन की याद में मनाते हैं| संत वैलेंटाइन प्रेम के समर्थक थे| रोमन राज्य में जो कपल्स एक-दूसरे से प्रेम करते थे उनकी शादी करवाते थे| राजा क्लॉडियस ने राज्य में प्रेम विवाह पर रोक लगा दी थी..जो विवाह कर लेते थे वह लड़ाई पर बहुत ध्यान नहीं देते थे| प्रेमी संत वैलेंटाइन के पास जाते और संत वैलेंटाइन चुपके-चुपके से इन प्रेमी की शादी करवा कर इनको एक कर देते थे| राजा क्लॉडियस युद्ध का अनुमादी था| उसको लड़ाई करवानी थी, हिंसा चाहिए थी ताकि उसका साम्राज्य बड़ा हो सके तो जवान लोग को पकड़- पकड़ कर भेजा करता था.. लड़ाई में ताकि वह लड़ सके और लड़ इसलिए नहीं सके की ताकि बहुत पवित्र या सार्थक उद्देश्य है| युद्ध लड़ इसलिए सके ताकि राजा की जो धन का लालच है कि मैं और बड़ा बादशाह कहलाऊ वो पूरा हो सके तो उसने बोल रखा था शादी नहीं करनी लड़ो जाकर|
प्रेमी संत वैलेंटाइन इसके विरुद्ध हो गए और वह चुपके-चुपके प्रेम विवाह करवाने लगे| जब राजा को यह बात की खबर हुई तो राजा ने संत वैलेंटाइन को इस जुर्म में मौत की सजा सुनाई| जब संत वैलेंटाइन कारागार में थे उसे उस दौरान जेलर या न्यायाधीश( मुकदमा सुनने वाला) की नेत्रहीन बेटी जैकोबस से प्रेम हो गया| उस प्रेम की वजह से संत वैलेंटाइन ने उनकी आंखें ठीक कर दी उसको देखने की ताकत दे दी| उसने जैकोबस को पत्र लिखा अपनी प्रेम की अभिव्यक्ति करते हुए और उसे पत्र में नीचे उन्होंने लिखा.. योर वेलेंटाइन वहां से अपने प्रेमी को वैलेंटाइन कहने की प्रथा शुरू हुई| पत्र लिखा उसके थोड़ी ही देर बाद उनको फांसी दे दी गई, उनको 14 फरवरी 269 में फांसी पर चढ़ा दिया गया| उन्हें पता था फांसी लगने वाली है क्योंकि उनको मौत की सजा सुनाई जा चुकी थी|
आगे की कहानी यह कहती है उसे लड़की की आंखें ठीक कर दी उसको जो दृष्टि दे दी उसका रिजल्ट यह हुआ कि न सिर्फ वह लड़की बल्कि पिता समेत उसके परिवार के 40- 50 लोग सब ईसाई हो गए| वह पहले जीसस को नहीं मानते थे एक तरह से पहले वह विधर्मी थे फिर उन्होंने जो रोशनी का रास्ता था वह पकड़ लिया|
अब इस कहानी से समझ क्या आता है, इस कहानी में मूल बात है- यह बात सांकेतिक है.. लड़की प्रेमिका की आंखों का ठीक हो जाना उसके पूरे परिवार का धार्मिक हो जाना और संत वैलेंटाइन का सर काट दिया जाना| वह लड़की नहीं देख पा रही थी इसका मतलब क्या है? इसका मतलब यह है कि उसको दुनिया समझ में नहीं आ रही थी| हम कौन हैं? संसार क्या है? उसको समझ नहीं थी.. संत धार्मिक मनुष्य है तो इनके संगति, स्पर्श ने उस लड़की को दुनिया को देखने की दृष्टि दे दी| यह आशय है.. यह कहने का की उन्होंने जादू से उसकी आंखें ठीक कर दी| लड़की को उन्होंने प्रेम किया तो लड़की को दुनिया को देखने की नजर दे दी| उन्होंने उसको दृष्टि दे दी.. यह उनका प्रेम था और अपने प्रति उन्होंने क्या किया उनको दृष्टि देने के लिए उनका यदि अपना गला कट रहा है तो उन्होंने काटने दिया| गला (सर) काटना मतलब सर जो है वह अहंकार का सूचक होता है.. अकरा हुआ सर अहंकार का प्रतीक होता है तो सर का काट जाना माने अपने लिए, अपने ही हित के लिए, अपने ही स्वार्थ के लिए, मुझे करना है, जीना है इस भावना का कट जाना|
सच्चा प्रेम क्या होता है? यह वह बता गए प्रेम का मतलब है जिसके साथ हो उसकी आंखें खोल दो और जिसके साथ हो उसके आंखें खोलने के लिए अगर अपनी जान भी देनी पड़े तो दे दो| आंखें खोलने का क्या मतलब है? उसको धर्म की तरफ भेज दो जैसा उन्होंने स्वयं किया तो प्रेम का जो वास्तविक अर्थ है वह आध्यात्मिक है| तुम जिसके साथ हो उसको अध्यात्म की दिशा में भेज दो, वह खुद को जानने लगे, मन को समझने लगे यही प्रेम है| ये करने के लिए तुम्हें सर्वस्व भी न्योछावर करना पड़े तो कर दो|
इसलिए यह वैलेंटाइंस डे महत्वपूर्ण है.. प्रेम क्या है? इसकी उन्होंने वास्तविक और जीवंत परिभाषा हमारे सामने रखी|