आज के समय में 99% लोग दूसरों के व्यवहार से प्रभावित होते हैं.. इससे कैसे बचे?
लोग हम पर चिल्ला सकते हैं.. उनमें से कोई हमें शारीरिक रूप से भी चोट पहुंचा सकता है| लेकिन हमारे मन के अंदर घुसकर कोई हमें हर्ट नहीं कर सकता| वहां तो सिर्फ एक ही व्यक्ति हमें हर्ट करता है, वह हैं हम खुद|
हम अक्सर कहते हैं कि किसी से अपेक्षाएं रखना नॉर्मल है मतलब मुझे जो सही लगता है, वह वैसा करेंगे| जब हम उनसे ऐसी अपेक्षा रखते हैं तो वो भी हमसे अपेक्षाएं रखते हैं| और जब अपेक्षाएं पूरी नहीं होती तो मन दुखी हो जाता है और दुखी होकर हम कहते हैं कि आपने मुझे हर्ट किया| कभी भी किसी पर अंगुली रखकर ऐसे नहीं बोलना कि आपने मुझे हर्ट किया| मन में भी नहीं| क्योंकि हमें कोई हर्ट नहीं कर सकता| हमारा कोई अपमान नहीं कर सकता| वह सिर्फ व्यवहार कर सकते हैं| सिर्फ बोल सकते हैं| वह भी अपने संस्कारों के नजरिए से लेकिन हम जो सोचते हैं उसके बाद पीड़ा तो हमारे मन में ही पैदा होती है|
एक मिनट आंखें बंद करो और उनको सामने लेकर आओ| जिन्होंने जो भी उस दिन किया था उसको सामने लेकर आओ| देखो उन्होंने उसे दिन क्या व्यवहार किया था| क्या बोला था उन्होंने उस दिन? वो उनका संस्कार था, तो उस दिन की उनकी मन की स्थिति थी, वो उनका नजरिया था, वो उनका व्यवहार था, वो सब कुछ उनका था| वो एनर्जी उनकी थी उस दिन| उनके मन की स्थिति डिस्टर्ब थी| तो उस दिन उन्होंने अपना अपमान किया आपका नहीं| आप उस बात को अपने मन से साफ करते हैं| और उनको उस दिन के लिए, उस बात के लिए क्षमा करके बात को खत्म करते हैं तो आप इसे सिद्ध करते हैं कि कोई मेरा अपमान नहीं कर सकता| जब वह ऐसा व्यवहार करते हैं तो वह अपना अपमान कर रहे होते हैं| मेरे मन की स्थिति उनके व्यवहार से डामाडोल नहीं हो जाती है| आप उनके उस व्यवहार को अपने मन से डिलीट करते हैं| तीन बार अंदर से अच्छे से मन में बोले कि वो उनकी मनोदशा उनका नजरिया था| वह दर्द में थे उस दिन| ये करना बहुत जरूरी है| नहीं तो आत्मा पर चोट पर चोट लगती रहती है|
एक क्षण में आत्मा शरीर छोड़ती है और अपने साथ ये चोट, घाव साथ में ले जाती है आगे| कभी भी कोई हमारे बारे में कुछ भी कहे, कभी भी कोई हमसे कोई व्यवहार करें, एक क्षण में अपने आप को याद दिलाना कि ये उनके संस्कार है, ये उनका व्यवहार है इस समय| ये इस समय उनके मन की स्थिति है| वो उनके संस्कार से व्यवहार करेंगे| लेकिन हम किसके संस्कार से व्यवहार करेंगे? हम तो अपने ही संस्कार से व्यवहार करेंगे|
वो सिर्फ जोर से चिल्ला सकते हैं| लेकिन वो हमें हर्ट नहीं कर सकते है| हर्ट हमें कौन करेगा? हम खुद ही करेंगे| जब हम उनके बारे में वैसा सोचेंगे तब| कोई हमें हर्ट नहीं कर सकता| लोग हमें धोखा दे सकते हैं| लोग हम पर चिल्ला सकते हैं| उनमें से कोई हमें शारीरिक रूप से भी चोट पहुंचा सकता है| लेकिन हमारे मन के अंदर घुसकर कोई हमें हर्ट नहीं कर सकता| वहां तो सिर्फ एक ही व्यक्ति हमें हर्ट करता है, वो है हम खुद|
जब कोई आपको गलत कहे,अपमान वाली भाषा का उपयोग करें, झूठ बोले आप साक्षी होकर देखते रहिए| बिल्कुल स्थिर होकर संयम से| तब आप किसी दूसरे के व्यवहार को अपने ऊपर हावी नहीं होने देंगे कि उसने मेरा अपमान किया| जो लोग आपके साथ वो व्यवहार कर रहे हैं जो आपको पसंद नहीं है| उनके पास भी उतनी ही पॉवर है| वह क्या कर सकते हैं? वो अपने अनुसार जो अपने को सही समझते वो बोल सकते हैं| वो झूठ बोल सकते हैं, वो धोखा दे सकते हैं,वो गलत व्यवहार कर सकते हैं, वो चिल्ला सकते हैं,वो रो सकते हैं, वह सब कुछ कर सकते हैं.. लेकिन वो मेरे मन के अंदर नहीं घुस सकते हैं| हम क्या ब्लेम करते हैं उनकी वजह से.. उनकी वजह से.. यह बोलकर हम अपनी पॉवर को यूज़ करना खत्म कर देते हैं और जिस पॉवर को यूज़ करना खत्म कर देंगे, वह पावर क्या होती जाएगी! घटती ही जाएगी..
इसलिए आप यदि चाहते हैं, कि हमारा सदैव सब कुछ ठीक रहे तो आप अपना रिमोट किसी और को ना दे आप खुद डिसाइड करे …कब क्या करना है क्या नहीं! अपने मन को अपने सद्बुद्धि का प्रयोग करे।