वर्तमान समय सब कुछ अति में जा रहा है और अति के बाद होता है अंत लेकिन इंसान समझने की बजाय उलझता ही जा रहा है| अनेक लोगों से सुनने में आता है कि कभी ना कभी हमें किसी ने आहत किया है, चोट पहुंचाई है, धोखा दिया है और ऐसा करने वाले कोई और नहीं, अपने ही प्रयोजन रहे हैं| ऐसे हालातो पर एक ही रास्ता अपनाया जा सकता है, वह है क्षमाभाव का|
प्रतिरोध की भावना के बिना, किसी व्यक्ति के द्वारा किए गए अपमान को सहन करने की क्षमता ही क्षमा है | क्षमा करना अर्थात खुद की जेल से स्वयं को आजाद करना| अपराध को माफ कर देने का मतलब है द्वेष भावना और आहट भाव को भूलना| किसी को माफ कर देना, यह अपने आप नहीं होता परंतु यह व्यक्ति विशेष द्वारा सजगता से लिया गया कठोर फैसला होता है कि जिस किसी ने दर्द दिया, मन को ठेस पहुंचाई, उसके लिए प्रतिशोध की भावना नहीं रखनी है|
क्षमा का जीवन में बहुत बड़ा महत्व है| यदि कोई मनुष्य गलती करें और उसके लिए क्षमा मांग ले, तो सामने वाले का गुस्सा काफी हद तक शांत हो जा सकता है| जिस तरह क्षमा मांगना एक अच्छा गुण है, उसी तरह किसी को क्षमा कर देना भी इंसान का बड़प्पन माना जाता है| माफ करने वाले व्यक्ति की हर कोई तारीफ करता है और उसकी ख्याति दूर-दूर तक फैल जाती है|
क्षमा करने वाला, सजा देने वाले से बड़ा होता है इसलिए सभी को दिल से क्षमा कर, स्वयं को हल्का रखें| कमजोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं कर सकता| क्षमा करना बलवानों का गुण है| क्षमा, सहायता व सहयोग करने की आदत अपने जीवन में डाल ले| यह गुण कभी व्यर्थ नहीं जाता और वक्त पर काम आता है| मनोवैज्ञानी भी क्षमा या माफी को मानव व्यवहार का एक अहम हिस्सा मानते हैं| उनका कहना है कि यदि व्यक्ति गलती कर दे और उसके लिए माफी ना मांगे तो इसका मतलब यह हुआ कि उसके व्यक्तित्व में अहम् सबंधी विकार है| क्षमा मांगना और क्षमा कर देना, इंसानी व्यक्तित्व को परिपूर्ण करने वाले तत्व हैं| ये दोनों गुण व्यक्ति को हल्का कर उसे सुखी बना देते हैं| क्षमादान करके हम किसी पर कोई एहसान नहीं करते अपितू अपने मन के सुकून का उपाय कर रहे होते हैं|
कोई गलती करके माफ़ी ना भी मांगे लेकिन आप रात में सोने से पहले, परोपकार के रूप में माफ करने का यह कार्य करें तो परमात्म आशीर्वाद आपके साथ सदा बना रहेगा| इस धरती पर सब अपना-अपना किरदार निभाने आए हैं| कुछ दुख देने आए हैं, तो कुछ दर्द मिटाने आए हैं| आप भी बस अपना किरदार निभाते चलो, किसी का दुख बांटो अर्थात क्षमा कर दो तो किसी के घाव पर, क्षमा रुपी मरहम लगा दो| नफरत और दया, दो ऐसे भाव है जो हर व्यक्ति की मानसिक स्थिति को निर्धारित करते हैं| नफरत का भाव खुद को बेचैन कर देता है जबकि दया का भाव खुद को सुकून देता है| हम जिस भी भाव को धारण करें, दूसरे लोगों से पहले उसका प्रभाव हमारे स्वयं के ऊपर पड़ता है|
क्षमाशील बनना विवेकवान व्यक्ति की पहचान है क्योंकि सभी कार्य क्षमता से सिद्ध होते हैं| इसी से समस्त संसार को जीता जा सकता है| किसी ने भगवान से पूछा कि किस प्रकार के इंसान आपके नजदीक होते हैं? भगवान ने कहा, वे इंसान जो बदला लेने की क्षमता रखने के बावजूद, दूसरों को माफ कर देते हैं| कहते हैं, भूल होना प्राकृति है, मान लेना संस्कृति है और सुधार लेना प्रगति है| क्षमा मांगने से अहंकार खत्म हो जाता है और शांति का अनुभव होता है| यही आत्मा का मूल गुण भी है| क्षमा भी दिल से मांगनी चाहिए और गलती का सुधार भी कर लेना चाहिए|
क्षमा करना अर्थात किसी को आत्मग्लानि से मुक्ति दिलाना, यह बहुत बड़ा परोपकार है| क्षमा करने की प्रतिक्रिया में, क्षमा करने वाला, क्षमता पाने वाले से कहीं अधिक सुख पाता है| जितना आप अंदर से प्रसन्न, संतुष्ट व सकारात्मक होते हैं, उतना ही जल्दी दूसरों को क्षमा कर पाएंगे| क्षमा करने से दिलों की दूरियों को दूर कर, दिल में अच्छी जगह बना सकते हैं|
क्षमा मांगने या क्षमा करने में विलंब नहीं करना चाहिए क्योंकि यदि कोई उस बोझ को ज्यादा दिन रखेंगे तो वह उन्हें हिम्मतहीन बना देगा और मन पर लगा यह घाव, समय के साथ-साथ नासूर बन जाएगा| इस स्थिति में यह शरीर छूट जाए तो अगले ना जाने कितने जन्मों तक उस आत्मा के साथ यह कर्मों का हिसाब-किताब चलता रहेगा| अतः समय के रहते क्षमा मांगने या क्षमा करने में दोनों का ही कल्याण समाया हुआ है|
माफी मांगना उच्च चरित्र वाले व्यक्ति का काम है और माफी मांगने पर माफ कर देना ही मानता है| यदि किसी व्यक्ति ने माफी मांगी, उसने अपनी गलती स्वीकार कर ली और आत्मसमर्पण कर दिया, ऐसे में माफ ना करना, धृष्टता होगी| मनुष्य में गुण और दोष दोनों ही होते हैं| बुरी आदतों को आत्मानुशासन और अभ्यास से दूर किया जा सकता है| क्षमा भाव जिसके भीतर विकसित हो जाता है, वह व्यक्ति यशस्वी हो जाता है| अगर गलतियां हमसे होती है तो माफी मांगना भी आना चाहिए और दूसरों की गलतियों को माफ करने का साहस भी होना चाहिए क्योंकि एक साहसी व्यक्ति ही क्षमा कर सकता है, ऐसे करके वह आने वाले कल को सुधार सकता है|
क्षमा भाव धारण करने से बाहरी माहौल से नियंत्रित होने के बजाय, अपनी आत्मिक भावनाओं पर नियंत्रण की शक्ति मिलती है| यदि हम सदा उन्हीं लोगों का चिंतन करते रहेंगे, जिनसे मनमुटाव है, नाराजगी है, नफरत है, द्वेष भावना है तो परमात्मा के प्रति व दिव्य गुणों के लिए मन में जगह नहीं रहेगी| इसलिए आध्यात्मिक प्रगति और दिव्य गुणों की प्राप्ति के लिए, क्षमाभाव मनुष्य जीवन में अति आवश्यक है| जब हम दूसरों के दोषों को नजरअंदर करके क्षमा कर देते हैं, तो परमात्मा भी देखते हैं कि साधक एक बहुत ऊंचे स्तर पर गया है और यह परमात्मा दुआओं, परमात्मा प्रेम, परमात्मा ज्ञान, शक्तियों व गुणों का हकदार है|
नाराजगी मनुष्य के हृदय में भरे तेजाब की तरह है| यह खुद जहर पीकर, दूसरे के मरने की उम्मीद करने जैसा है|
इससे खुद का ही अहित होता है अतः अपनी सोच बदले और सोने से पहले सभी को क्षमा कर दें|
Very nice article