जीवन में साहसी व्यक्ति बनना क्यों जरूरी है..हम साहसी व्यक्ति कैसे बन सकते हैं?

 

वह मानसिक गुण या शक्ति जिसके द्वारा मनुष्य आवश्यक बल व संसाधनों के अभाव में भी कोई बड़ी काम कर लेता है या दृढ़ता पूर्वक विपत्तियां- कठिनाइयां आदि का सामना करता है, साहस कहलाता है| दूसरे शब्दों में, साहस वह मनुष्य का आत्मिक गुण है जो संस्कारों में समाया होता है और सांसारिक अवरोधों, रूकावटों के आने पर आत्मा में अतिरिक्त ऊर्जा व आत्मविश्वास का संचार कर कार्य सिद्धि में मदद करता है| जीत निश्चित हो तो कायर भी जंग लड़ लेते हैं, बहादुर तो वह लोग हैं जो हार निश्चित होते हुए भी मैदान नहीं छोड़ते और जंग को साहस के बल से लड़ते हैं|

साहस अर्थात यह जानते हुए भी की कार्य असाध्य है, सफलता की कोई आशा नहीं है, फिर भी पूरे दम के साथ प्रयासरत होना| कोई लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं हारा है वही जो लड़ा नहीं| ऐसा नहीं है कि साहसी व्यक्ति हमेशा सफल ही होगा, परंतु बिना निराशा हुई पराजय को सहन कर लेना, यह एक साहसी की पहचान है| आशावादी होना साहस की आधारशिला है|

साहसी व्यक्ति के 6 लक्षण:-

1) सहनशीलता
2) दृढ़ता
3) निर्भरता
4) कर्मठता
5) आत्मविश्वास
6) नैतिकता
1) सहनशीलता

 

1)सहनशीलता

सहनशीलता चंदन की तरह है जो चंदन घिस जाता है वह भगवान के चरणों में चढ़ता है और जो नहीं घिसता वह मुर्दा जलाने के काम में आता है| किसी भी उच्च लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सहन तो करना ही पड़ता है| हम जानते हैं कि सभी धर्म स्थापकों को अपने-अपने धर्म की स्थापना के लिए कितना सहन करना पड़ा| यदि कोई कहे कि मैं इतना सहन किया है तो उसमें सहनशीलता नहीं है, क्योंकि सहनशील व्यक्ति सहन करते हुए भी इस ज्ञान से मुक्त रहती है कि “मैं सहन कर रही हूं|”

2)दृढ़ता   

   

केवल इच्छा कोई बदलाव नहीं लाती, निर्णय से कुछ बदलाव आता है परंतु दृढ़ता से सबकुछ बदल जाता है| “स्वामी विवेकानंद” ने एक बार कहा था कि:-
किसी मार्ग से जाने का एक बार निश्चय कर लिया
            तो फिर जान जाने की नौबत आ जाए तो भी पीछे कदम नहीं रखना चाहिए|

3)निर्भयता

 

निर्भीकता, स्वतंत्रता की पहली सीढ़ी है| डरपोक व्यक्ति खतरे के पहले, कायर व्यक्ति खतरे के मध्य और साहसी व्यक्ति खतरे के बाद भयभीत होता है| “हालात वो न रखें जो साहस को बदल दे| बल्कि साहस वो रखें जो हालातो को बदल दे|” अपने भय को जाहिर नहीं करना चाहिए लेकिन अपने साहस को जरूर दूसरों के साथ साझा करना चाहिए|

4) कर्मठता

कर्मठ व्यक्ति कर्म के प्रति समर्पित रहता है और कभी किसी काम को कल पर नहीं छोड़ता| मनुष्य की उपलब्धियां उसके कर्मठ होने की परिचायक है| मिसाल है महाभारत का धनुर्धर एकलव्य| द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणा में अंगूठा देने के बाद भी उसने साहस नहीं छोड़ा और सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बना|

5)आत्मविश्वास

आत्मविश्वास पूरे दिन को खूबसूरत बनाए रखता है| छाता आपको वर्षा या गर्मी से पूरी तरह नहीं बचा सकता, फिर भी इसे हिफाजत प्राप्त होती है| उसी प्रकार, यह आवश्यक नहीं कि आपका “आत्मविश्वास “आपको सफलता दिला दे परंतु या किसी भी चुनौती का सामना करने का साहस तो देता ही है| गॉड कहते हैं- उदास मत होना क्योंकि मैं तेरे साथ हूं, सामने नहीं पर आसपास हूं, पलकों को बंद कर, दिल से याद करना, मैं और कोई नहीं तेरा “आत्मविश्वास” हूं|

6) नैतिकता

नैतिकता क्या है? इसे आम आदमी जानता है परंतु इसका प्रसार दिमाग से कर्मेन्द्रियों में भी होने लगे और दूसरों को इसका लाभ मिले, तब कहा जा सकता है कि यह व्यक्ति नैतिकता वाला है| ज्ञान अतिनैतिक है, यह चोर और सज्जन दोनों को लाभ देता है|जैसेकि औषधि अतिनैतिक है| इसे चोर को दो या संत-महात्मा को दो, दोनों को लाभ पहुंचती है|

साहसी बने दुस्साहसी नहीं:-

साहस खतरों वह बाधाओं की तरफ से अंधा है और उनको देखते हुए भी नहीं देखता है| साहसी अपनी क्षमताओं को आगे रखता है जबकि डरपोक अपनी कमजोरी को| मनुष्य साहसी तो हो, परंतु दुस्साहसी नहीं अर्थात उद्दंड, अति दुस्साहस उतना ही बड़ा दोष है, जितना अति भयभीत होना|

संशय से आत्मविश्वास का 36 का आंकड़ा:-

साहसी व्यक्ति, विश्वासी व्यक्ति भी होता है| संशयग्रस्त व्यक्ति साहसी कैसे हो सकता है क्योंकि संशय से आत्मविश्वास का 36 का आंकड़ा है| बड़ी योजनाएं ‘साहस’ के बिना संपादित नहीं की जा सकती क्योंकि योजना बनती तो वर्तमान में है परंतु पूरी होती है उसे भविष्य में जो यह नहीं बताता कि ऊंट किस करवट बैठेगा|

सर्वत्र अंधकार प्रतीत हो, तो भी धैर्य व साहस न छोड़ें:-

यदि हमारे जीवन में ऐसी परिस्थितियों आए जो तूफान समान महसूस हो सर्वत्र अंधकार प्रतीत हो तो भी आपको धैर्य व साहस नहीं छोड़ना चाहिए| समय को हमें जब बहुत बड़ी उपहार देना होता है तो वह पहले हमें अकेला करता है फिर अचानक हम अपने को परिस्थितियों से बाहर प्रकाश में पते हैं|
                                                                           अतः साहस के गुण हमे अपने अंदर लाने के लिए 6 लक्षण जरूर अपनाने चाहिए:- सहनशीलता,दृढ़ता, निर्भरता, कर्मठता, आत्मविश्वास और नैतिकता|

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