मनुष्य का जीवन उलझनों में बीत जाता है

क्षमा करना अर्थात् स्वयं की जेल से स्वयं को आजाद करना…

वर्तमान समय सब कुछ अति में जा रहा है और अति के बाद होता है अंत लेकिन इंसान समझने की बजाय उलझता ही जा ...

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